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श्रीमद् भगवद् गीता
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आज का विचार
संसार के चिंतन से मन अशुद्ध होता है, परमात्मा के चिंतन से मन शुद्ध होता है मन के पूर्ण शुद्ध होने पर ही नित्य अविनाशी आनन्दस्वरूप परमात्मा प्रकट होता है।
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