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श्रीमद् भगवद् गीता
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आज का विचार
कर्तव्य कर्म (स्वधर्म पालन) करते हुए संसार में कार्य करो, परन्तु निस्वार्थ-भाव से प्रेम केवल परमात्मा से करो।
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