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श्रीमद् भगवद् गीता
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देवता वह है जिसका तन विषय भोगों में लिप्त रहता है परंतु मन से भगवान की आज्ञा का पालन करता है, असुर वह है जिसका तन और मन विषय भोगों में ही लगा रहता है।
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