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श्रीमद् भगवद् गीता
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ब्रह्मज्ञानी एकान्त प्रिय, कामना रहित, चिन्ता मुक्त, राग-द्वेष रहित, मान-अपमान रहित और शांत-चित्त वाला होता है।
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