आज का विचार

जैसे भृंगी कीट भ्रमर का चिन्तन करते-करते भ्रमर स्वरुप बन जाता है वैसे ही जीव ब्रह्म का ध्यान करते-करते ब्रह्म स्वरूप हो जाता है।