आज का विचार


वृद्धावस्था से शरीर की सुन्दरता नष्ट होती है, धीरज धारण करने से इच्छाऎं नष्ट होती है, धर्माचरण से अपवित्रता नष्ट होती है, क्रोध से प्रतिष्ठा नष्ट होती है।

आज का विचार

दिन में वही कार्य करने चाहिए जिससे रात्रि में सुख की प्राप्ति हो सके, और जब तक जीवन हैं तब तक वही कार्य करने चाहिए जिससे मरने के बाद सुख की प्राप्ति हो सके।

आज का विचार

सुख चाहने वाले को विद्या को त्याग देना चाहिये और विद्या चाहने वाले को सुख त्याग देना चाहिए। सुख चाहने वाले मनुष्य को विद्या प्राप्त नही होती है और विद्या प्राप्त करने वाले मनुष्य के लिए सुख प्राप्त नही होता है।

आज का विचार

आलसी मनुष्य कभी विद्या प्राप्त नही कर पाता है, विद्याहीन मनुष्य कभी धन प्राप्त नही कर पाता है, निर्धन मनुष्य का कभी कोई मित्र नहीं बन पाता है और बिना मित्र के कभी कोई मनुष्य सुख प्राप्त नहीं कर पाता है।

आज का विचार

सुख-शान्ति शरीर में नही है वह तो आत्मा में है, इसलिये पहले आत्मा को जानने की जिज्ञासा तो उत्पन्न करो, तभी सुख-शान्ति प्राप्ति होगी।

आज का विचार

जब तक दूसरों में दोषों को खोजते रहोगे तब तक स्वयं के दोषों से अनभिज्ञ रहोगे, तो स्वयं के दोषों का निवारण कैसे होगा।

आज का विचार

बहुत कुछ जानने के लिये शास्त्र अनेक हैं लेकिन समय कम है बाधायें बहुत हैं, इसलिये जो सार तत्व है उसे ही ग्रहण करना चाहिए जिस प्रकार हंस जल मिश्रित दूध में से केवल दूध को ग्रहण कर लेता है।

आज का विचार

किसने जीवन में केवल सुख ही पाया है और किसने जीवन में केवल दुख ही पाया है, मानव जीवन की दशा एक घूमते पहिये के समान है जो क्रमश: नीचे और ऊपर की तरफ आता-जाता रहता है।

आज का विचार

इस संसार में न कोई किसी का मित्र होता है और न ही कोई किसी का शत्रु होता है, पूर्व जन्म के कर्म के कारण ही लोग मित्र और शत्रु बनते हैं।

आज का विचार

जिस प्रकार एक गाय का बछड़ा हजार गायों के बीच में अपनी माँ को पहचान लेता है, उसी प्रकार प्रत्येक मनुष्य द्वारा पूर्व जन्मों में किये गए कर्म प्रत्येक मनुष्य का पीछा करके पहचान ही लेते हैं।

आज का विचार

वही मनुष्य दरिद्र होता है, जिसके मन में कामनाओं की अधिकता होती है, जो मनुष्य मन से संतुष्ट रहने वाला होता है उसके लिये न कोई धनी होता है, न ही कोई निर्धन होता है।

आज का विचार

आत्मा ईश्वर का अंश है जो कि सभी प्राणीयों में समान रूप से स्थित रहता है, इसलिए केवल देवी-देवताओं का ही नहीं बल्कि प्रत्येक प्राणी का आदर करना चाहिये।

आज का विचार

जब मनुष्य की बुद्धि और मन एक ही दिशा में कार्य करतें है तब सारे भ्रम मिट जाते हैं, तभी मनुष्य का विवेक जागृत हो पाता है।
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जब मनुष्य का विवेक जागृत हो जाता है तब उस व्यक्ति के लिये शरीर एक यन्त्र के समान होता है और धन-सम्पत्ति मिट्टी के समान होती है।

आज का विचार

भगवान के नाम रुपी अमृत को पीते रहोगे तो सभी प्रकार की सांसारिक आशक्ति और विपत्ति से बचे रहोगे।

आज का विचार

शास्त्रानुसार कर्म ही "धर्म" है इसलिये धर्म का सहारा लेकर चलोगे तो पाप-कर्म करने से बचे रहोगे।

आज का विचार

जब तक भगवान के अस्तित्व पर अटूट विश्वास नही होगा तब तक पाप करने से नही बच पाओगे।

आज का विचार

मनुष्य के प्रथम गुरु माता-पिता ही होते है फ़िर पति-पत्नी एक दूसरे के गुरु होते है अन्त में दीक्षा-गुरु बनाना होता है बिना गुरु-भक्ति के सदगुरु की प्राप्ति नही होगी।

आज का विचार

गुरु ऎसा होना चाहिये जिसे हर वक्त शिष्यों का ध्यान हो और शिष्य ऎसा होना चाहिये जिसे गुरु पर स्वयं से अधिक विश्वास हो।
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जब तक गुरु के प्रति दृढ़ श्रद्धा और वाणी पर पूर्ण विश्वास नही होगा, तब तक चित्त की स्थिरता और ज्ञान की प्राप्ति असंभव है।

आज का विचार

जीवन में अनेक गुरु जन्म से स्वत: ही मिलते है या बनाने पडतें हैं और सदगुरु भगवान की कृपा से ही प्रकट होते हैं।

आज का विचार

गुरु सांसारिक ज्ञान के अन्तर्गत पाप-पुण्य, सुख-दुख, अपने-पराये, आदर-अनादर, सही-गलत आदि का भेद सिखाते है।
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सदगुरु आध्यात्मिक ज्ञान के अन्तर्गत सत्य-असत्य, तत्व-पदार्थ, आत्मा-शरीर, दिव्य-स्थूल आदि का भेद सिखाते है।

आज का विचार

गुरु का कर्तव्य धर्मानुसार बोलना और शिष्य का कर्तव्य श्रद्धा पूर्वक सुनकर गुरु की आज्ञा का पालन करना होता है।

आज का विचार

गुरु के प्रति जब जीव की पूर्ण श्रद्धा स्थिर हो जाती है तब उस गुरु शरीर में परमात्मा सदगुरु के रुप में प्रकट होते है।

आज का विचार

अच्छा गुरु वही होता है जो अच्छा शिष्य होता है इसलिये अच्छा शिष्य बनोगे तो अच्छा गुरु स्वत: ही बन जाओगे।

आज का विचार

गुरु का अर्थ हैं "गु" अक्षर का अर्थ गुणातीत और "रु" अक्षर का अर्थ रुपातीत जो गुण और रूप से परे स्थित हैं।

आज का विचार

सांसारिक ज्ञान की शिक्षा देने वाला गुरु कहलाता है और ईश्वरीय ज्ञान की शिक्षा देने वाला सदगुरु कहलाता है।

आज का विचार

गुरु स्वभाव से शांतचित्त, साधु-भाव में स्थित, मृदुभाषी, काम-क्रोध से रहित, सदाचारी और जितेन्द्रिय होते हैं।

आज का विचार

गुरु सांसारिक स्तर पर विवेक जाग्रत करता है और सदगुरु आध्यात्मिक स्तर पर विवेक जाग्रत करता है।

आज का विचार

गुरु शास्त्रों का ज्ञाता शिव स्वरुप होता है वह शास्त्र-ज्ञान के अनुसार कर्म-मार्ग का पथ-प्रदर्शक होता है।
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सदगुरु ब्रह्म का ज्ञाता ब्रह्म स्वरुप होता है वह ब्रह्म-ज्ञान के अनुसार भक्ति-मार्ग का पथ-प्रदर्शक होता है।

आज का विचार

गुरु "जीवन" की उन्नति का मार्ग-दर्शक होता है, सदगुरु "मृत्यु" की उन्नति का मार्ग-दर्शक होता है।

आज का विचार

गुरु स्वर्ग के लोकों का पथ-प्रदर्शक होता है, सदगुरु वैकुण्ठ के लोकों का पथ-प्रदर्शक होता है।
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सदगुरु ब्रह्म का ज्ञाता ब्रह्म स्वरुप होता है वह ब्रह्म-ज्ञान के अनुसार भक्ति-मार्ग का पथ-प्रदर्शक होता है।
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आज का विचार

संसार में दो प्रकार के ब्रह्मज्ञानी सदगुरु होते हैं, १.मौनी ब्रह्मज्ञानी और २.वक्ता ब्रह्मज्ञानी।
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वक्ता ब्रह्मज्ञानी संसार-सागर में व्याप्त सभी जीवात्माओं के उद्धार के लिये प्रयत्नशील रहता हैं।
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मौनी ब्रह्मज्ञानी से संसार को विशेष लाभ नही होता है, वह स्वयं के उद्धार में मग्न रहता है।
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