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श्रीमद् भगवद् गीता
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समर्पण
आज का विचार
जो मनुष्य दूसरों के धन को मिट्टी के समान देखता है, जो समस्त प्राणियों को अपने समान ही देखता है, वही मनुष्य संसार को यथार्थ रूप में देख पाता है।
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