आज का विचार


धन की केवल तीन गतियाँ ही होती हैं एक गति धर्मानुसार दान, दूसरी गति धर्मानुसार इच्छा-पूर्ति और तीसरी गति विनाश, जो न तो दान करता है और न ही इच्छा-पूर्ति ही करता है, उस मनुष्य के धन की तीसरी गति ही होती है।