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श्रीमद् भगवद् गीता
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आज का विचार
जो मनुष्य स्थिर वस्तु (आत्मा) को छोड़कर अस्थिर वस्तु (संसार) का आश्रय लेते हैं, अस्थिर वस्तु की संगति के कारण उनकी स्थिर वस्तु भी नष्ट हो जाती है क्योंकि अस्थिर वस्तु तो नाशवान होती ही है।
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