आज का विचार


दुःख का अनुभव होने के बाद ही सुख का अनुभव हो पाता है जिस प्रकार घोर अंधकार में दीपक का प्रकाश अच्छा लगता है। सुख में रहने वाला जो मनुष्य स्वयं को दरिद्र कहता है, ऎसा मनुष्य शरीर में जीवित रहते हुए भी मृतक के समान होता है।