आज का विचार


मनुष्य की शोभा न मुकुट धारण करने से, न चन्द्रमा के समान उज्ज्वल हार गले में धारण करने से, न स्नान करने से, न चन्दन लेपित करने से, न फूलों की माला से और न ही केशों को सुसज्जित करने से ही बढ़ती हैं। 
मनुष्य की शोभा सुन्दर संस्कार युक्त वाणी को धारण करने से होती है, सभी प्रकार के आभूषण तो नष्ट हो जाते हैं लेकिन सुन्दर संस्कार युक्त वाणी तो कभी न नष्ट होने वाले आभूषण के समान होती है।