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श्रीमद् भगवद् गीता
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आज का विचार
स्वयं के सुख की कामना करने से दुख की उत्पत्ति होती है और दूसरों के सुख की कामना से सुख की उत्पत्ति होती है, इन दोनों प्रकार की कामनाओं से बन्धन ही उत्पन्न होता है।
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