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संसार में जो कुछ भी अभी तक हुआ है, जो कुछ भी हो रहा है और जो कुछ भी आगे होगा, वह सब भगवान के पूर्व निर्धरित संकल्प से ही होता है, लेकिन मनुष्य जिस भाव से देखता है, सुनता है, स्पर्श करता है, वही व्यक्ति का वर्तमान कर्म होता है।
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