आज का विचार


व्यक्ति जब तक पाप और पुण्य करता रहता है तब तक प्रकृति के तीनों गुणों के आधीन होकर जन्म और मृत्यु के बंधन में ही पड़ा रहता है।

पाप का फल दुख और पुण्य का फल सुख होता है, पाप का फल भोगने के किये संसार में आना पड़ता है तो पुण्य का फल भी भोगने के लिये भी संसार में आना ही पड़ता है।