आध्यात्मिक विचार - 20/12/2010


संसार में जो भी मनुष्य जन्म लेता है वह सभी प्रकृति के भक्त होते है, जबकि यह मनुष्य जीवन केवल भगवान का भक्त बनने के लिये प्राप्त हुआ है।

केवल भगवान का शुद्ध-भक्त ही प्रकृति पर भी विजय प्राप्त कर पाता है, प्रकृति पर विजय का अर्थ मृत्यु पर विजय प्राप्त करना होता है, जिसे प्राप्त करके किसी भी जीव को किसी भी माँ के गर्भ में नहीं जाना पड़ता है।

प्रत्येक व्यक्ति को केवल भगवान का शुद्द भक्त बनने का प्रयत्न करना चाहिये, शुद्ध भक्त केवल वही होता है जो अपने सभी कर्तव्य कर्मो को शास्त्र विधि के अनुसार भगवान का समझकर करता है।