२. वाणी के द्वारा बोलकर जो भी भौतिक-कर्म होते हैं, वह वर्तमान-कर्म (इस जीवन के कर्म) और प्रारब्ध-कर्म (पूर्व जन्म के कर्म-फल) का मिश्रण होते हैं।
३. शरीर के द्वारा जो भी भौतिक-कर्म होते दिखाई देते हैं, वह केवल प्रारब्ध-कर्म (पूर्व जन्म के कर्म के फल) ही होते हैं।