आध्यात्मिक विचार - 28-12-2010


किसी भी व्यक्ति के द्वारा जो कर्म होते हैं, वह केवल तीन प्रकार से ही होते है।

१. मन से विचारों के द्वारा जो भाव अच्छे या बुरे भाव उत्पन्न होते है, वही वर्तमान-कर्म (इस जीवन के) कर्म होते हैं।


२. वाणी के द्वारा बोलकर जो भी भौतिक-कर्म होते हैं, वह वर्तमान-कर्म (इस जीवन के कर्म) और प्रारब्ध-कर्म (पूर्व जन्म के कर्म-फल) का मिश्रण होते हैं।


३. शरीर के द्वारा जो भी भौतिक-कर्म होते दिखाई देते हैं, वह केवल प्रारब्ध-कर्म (पूर्व जन्म के कर्म के फल) ही होते हैं।