आध्यात्मिक विचार - 2/12/2010

गुरु वही होता जिसे हर वक्त अपने शिष्यों के आध्यात्मिक उत्थान की चिन्ता रहती है और शिष्य वही होता है जिसे गुरु की वाणी पर स्वयं से अधिक विश्वास होता है।
जब तक गुरु के प्रति दृढ़ श्रद्धा और गुरु की वाणी पर पूर्ण विश्वास नही होता है, तब तक चित्त की स्थिरता और अज्ञान का मिटना असंभव है।