आध्यात्मिक विचार - 3/12/2010

शास्त्रों के अनुसार कर्म का आचरण करना ही धर्म का आचरण करना होता है, जो व्यक्ति धर्म का ही आचरण करते हैं, उन व्यक्तियों से कभी कोई पाप-कर्म नहीं होता है।
प्रत्येक व्यक्ति का धर्म अलग-अलग होता है, इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने गुरु से धर्म की शिक्षा लेनी चाहिये, तभी पाप कर्मों से बच सकोगे।