आध्यात्मिक विचार - 13-01-2011

संसार में एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के मन की बात कभी नही जान सकता है यदि कोई व्यक्ति जान सकता है तो सिर्फ़ अपने मन की बात ही जान सकता है।

किसी भी व्यक्ति को किसी अन्य व्यक्ति की निन्दा या गुणगान नहीं करनी चाहिये, ऎसा करने वाला अपने समय का दुरुपयोग ही करता है।

इसलिये प्रत्येक व्यक्ति को केवल भगवान की ही स्तुति या गुणगान करना चाहिये, ऎसा करने वाला ही आपने समय का सही उपयोग करता है।