आध्यात्मिक विचार - 17-01-2011

जो व्यक्ति अपने मन की क्रियाशीलता पर ध्यान केन्द्रित रखता है, उसका ही मन स्थिर हो पाता है।

जो व्यक्ति केवल स्वयं के मन में उठने वाले विचारों पर ध्यान केन्द्रित रखता है, वह शीघ्र ही भगवान की कृपा का पात्र बन जाता है।

मानव जीवन भगवान की कृपा पाने के लिये पात्रता हासिल करने के लिये ही मिला है।