आध्यात्मिक विचार - 02-02-2011

मन रूपी रेत में परमात्मा रूपी सीमेंट को अच्छी तरह से मिश्रित कर लेना ही मनुष्य जीवन का एक मात्र उद्देश्य होता है।

जो व्यक्ति अपने मन को रेत के समान मानकर और परमात्मा को सीमेन्ट के समान मानकर अच्छी प्रकार से मिश्रित कर लेता है तो उसे सांसारिक बड़े से बड़े भूकम्प भी नहीं हिला पाते हैं।