जिस व्यक्ति को भक्ति फल प्राप्त हो जाता है, वह व्यक्ति पूर्ण ज्ञानी हो जाता है, आनन्दित हो जाता है, संसार के प्रति उदासीन हो जाता है, एकान्त पसन्द हो जाता है।
वह व्यक्ति अपने स्वयं में ही सन्तुष्ट रहकर निरन्तर भक्ति-अमृत का पान करता रहता है, और सभी पर भक्ति-अमृत लुटाता रहता है।