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आध्यात्मिक विचार - 09-03-2011
मन की केवल दो ही अवस्थाऎं होती है, मन एक समय में केवल एक अवस्था में ही रहता है।
पहली अवस्था में सभी का मन संसार में स्थित रहता है, इस मन को दूसरी अवस्था में यानि ईश्वर में स्थित रखने का अभ्यास करना चाहिये।
जब व्यक्ति मन को ईश्वर में लगाने का अभ्यास नहीं करता है तो व्यक्ति का मन स्वतः ही संसार में चला जाता है।
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