आध्यात्मिक विचार - 30-03-2011

शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति अपने वर्ण और वर्णाश्रम के अनुसार कर्म करता है, केवल वही अपने धर्म का पालन कर पाता है।

प्रत्येक व्यक्ति का धर्म अलग-अलग होता है, इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने गुरु से धर्म की शिक्षा लेकर अपने धर्म का पालन करना चाहिये।

जो व्यक्ति श्रद्धा के साथ गुरु के शरणागत होकर अपने धर्म को जानकर अपने धर्म का आचरण करते हैं, केवल वही व्यक्ति सभी पाप कर्मों से बच पाता है, धर्म पालन के बिना पाप कर्मों से बच पाना असंभव है।