आध्यात्मिक विचार - 02-04-2011


हर व्यक्ति के लिये दूसरों की हित की कामना करना और भगवान को निरन्तर याद करते रहना यह दो कर्म ही व्यक्ति को मनुष्य बनाते हैं।

यदि कोई व्यक्ति यह दो कर्म नहीं करता हैं तो वह मनुष्य कहलाने का अधिकारी नहीं होता है, बल्कि ऎसा व्यक्ति मनुष्य शरीर में पशु-पक्षीयों के समान ही होता है।