जब तक व्यक्ति का गुरु के शब्दों पर श्रद्धा के साथ विश्वास स्थिर नहीं हो जाता है तब तक व्यक्ति का भ्रम दूर नहीं होता है।
जब व्यक्ति गुरु के शब्दों पर विश्वास करके आचरण करता है तो शीघ्र ही व्यक्ति का अज्ञान दूर होने लगता है।
व्यक्ति का अज्ञान दूर होते ही ज्ञान स्वतः ही प्रकट होने लगता है, ज्ञान के प्रकट होने पर ही भ्रम दूर हो पाता है।