आध्यात्मिक विचार - 01-05-2011


ईश्वर के आश्रित होकर ईश्वर के लिये अपने नियत कार्य को करना ही ईश्वर की सच्ची साधना होती है, यही सभी वेदों का सार है।

प्रत्येक व्यक्ति को भगवान के आश्रय में रहकर, संसार की सभी वस्तुओं को भगवान की समझकर, भगवान के लिये ही उपयोग करने की विधि को जानने का प्रयास करना चाहिये।

जो व्यक्ति इस विधि को जानकर कर्म करता है, वही भगवान की सच्ची भक्ति करता है, वही अपने जीवन को सार्थक कर पाता है, अन्य सभी तो अपने इस दुर्लभ जीवन को व्यर्थ करने में ही लगे रहते हैं।