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आध्यात्मिक विचार - 10-05-2011
प्रत्येक मनुष्य को मृग तृष्णा से बाहर निकलने का प्रयास करना चाहिये।
जिस प्रकार हिरण कस्तूरी की तलाश में वन-वन भटकता रहता है जबकि कस्तूरी हिरण की नाभि में होती है।
उसी प्रकार संसार में प्रत्येक व्यक्ति सुख और शान्ति की तलाश में इधर-उधर भटकता रहता है, जबकि सुख और शान्ति प्रत्येक व्यक्ति के स्वयं के अन्दर होती है।
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