आध्यात्मिक विचार - 11-05-2011

जब व्यक्ति स्वयं के मुख से कहे गये शब्दों को स्वयं सुनता है तब व्यक्ति के स्वभाव में सहजता से परिवर्तन होने लगता है।

जिस प्रकार हर व्यक्ति के शरीर के द्वारा जो भी कार्य होता है वह उसके स्वयं के लिये ही होता है, उसी प्रकार व्यक्ति वाणी से जो कर्म करता है वह भी उसी के लिये ही होता है।

जब व्यक्ति किसी के लिये अपशब्द कहता है तो वह वास्तव मे स्वयं को ही अपशब्द बोल रहा होता है।