आध्यात्मिक विचार - 26-05-2011


संसार में प्रत्येक व्यक्ति अद्वैत जीवन-यापन करता है, प्रत्येक व्यक्ति को वास्तविक रूप से अद्वैत में ही जीवन-यापन करना चाहिये।

जब तक व्यक्ति अद्वैत जीवन को द्वैत जीवन में परिवर्तित करके पुनः अद्वैत जीवन-यापन नहीं करता है, तब तक व्यक्ति अज्ञान में ही जीवन-यापन करता हुआ पुनर्जन्म को प्राप्त होता है।

जो व्यक्ति अद्वैत जीवन को द्वैत जीवन में परिवर्तित करके पुनः अद्वैत जीवन में स्थित हो जाता है, वही व्यक्ति मुक्त जीवन-यापन करके सदा के लिये मुक्त हो जाता है।