आध्यात्मिक विचार - 13-10-2011


संसार में कोई भी कार्य न तो उत्तम होता है और न ही निकृष्ट होता है, केवल व्यक्ति की भावना ही उत्तम और निकृष्ट होती हैं। 

जिस व्यक्ति की जैसी भावना जिस किसी भी कार्य से जुड़ती हैं, तो वह कार्य उस व्यक्ति के लिये वैसा ही हो जाता है।