आध्यात्मिक विचार - 23-11-2011


आँखो की ज्योति से जो कुछ भी दिखाई देता है, वह सब असत्य होता है, ज्ञान की ज्योति से जो दिखाई देता है, केवल वह सत्य होता है।

जब तक व्यक्ति असत्य को ही सत्य समझता रहता है, तब तक व्यक्ति के मन में सत्य को जानने की, जिज्ञासा उत्पन्न नहीं होती है।


ज्ञान की ज्योति वही व्यक्ति प्राप्त कर पाता है, जिसके मन में सत्य को जानने की जिज्ञासा होती है, श्रद्धा विहीन जिज्ञासा का कोई महत्व नहीं होता है।