आध्यात्मिक विचार - 25-02-2014


दूसरों के हित के लिये किये जाने वाला पाप-कर्म भी पुण्य होता है, और दूसरों के अहित के लिये किये जाने वाला पुण्य-कर्म भी पाप होता है।