आध्यात्मिक विचार - 22-05-2014


मृत्यु का भय और सुख की इच्छा ही प्रत्येक व्यक्ति के दुखः का मूल कारण होती हैं, जबकि आयु और सुख तो प्रारब्ध (पूर्व जन्म के कर्म-फल) के अनुरूप ही प्राप्त होते हैं। 

मनुष्य शरीर प्रभु कृपा से वर्तमान कर्म के द्वारा अमरता और आनन्द प्राप्ति के लिये ही मिलता है, जबकि आयु और सुख तो मनुष्य शरीर की अपेक्षा अन्य शरीरों में बहुत अधिक मात्रा होते हैं।